कटनी से लखन लाल की रिपोर्ट... (टाइम्स ऑफ क्राइम)
toc news internet channel
कटनी. कलेक्ट्रेट एवं तहसील में जनता की सुविधा के लिए खोले गये लोक सेवा केन्द्र दरासल लोक सेवा केन्द्र नहीं अपितु नरक सेवा गारंटी खोला गया है। यहां व्यक्ति अपना आवेदन फ ार्म जमा करने के बाद डिलेवरी तारिख के बाद ऐसा भटकता है जिसकी कोई सीमा ही नहीं है। लोगों को अपने राशन कार्ड खसरा, जाती प्रमाण पत्र, स्थाई निवास, आय प्रमाण पत्र, के आवेदन फार्म तो जमा करा लिए जाते है तथा इन आवेदनों के साथ रसीद में डिलेवरी की तारीख भी दी जाती है।
हर आवेदन में अलग-अलग दिन शासन के द्वारा निर्धारित किये गये है किन्तु सही समय किसी अपने दिये गये आवेदन की डिलेवरी नहीं मिलती है। यदि को व्यक्ति ने इन्से पूंछ लिया की आपने हमें जो तारीख दी है वह पूरी हो गई है फिर आप हमें धूमा क्यों रहे हो। इतना कहने पर वहां बैठे कर्मचारी अभद्रता पर उतारू हो जाते हैं।
यहां भी होने लगी दलाली
शासन एवं प्रशासन के पास अपने कर्मचारी एवं अधिकारियों की शिकायत काफी जा चुकी थी तथा इन आवेदनों के चलते अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रिश्वत खोर बोला जाने लगा। आये दिन इन विभागों में झगड़े होने लगे। आवेदनों की शिकायतों ने जब जोर पकडऩा शुरू कर दिया तब जा कर शासन एवं प्रशासन ने इस जटिल समस्या का हल निकाला और जनता की सुविधा के लिए हर आवेदनों का एक निर्धारित शुल्क तय कर दिया। आवेदन फार्म जमा करने के बाद भी जनता को सिवाये भटकने के अलावा कुछ हासिल नहीं होता।
जिस आवेदन का 50/ रू. लगना चाहिये लोगों को दलालों के द्वारा 200/ रू. का शुल्क चुकाना पड़ रहा है। विगत कुछ दिनों पूर्व शहरी क्षेत्र से एक व्यक्ति ने राशन कार्ड के लिए आवेदन दिया जिसमें एक महीने की तारीख दी गई थी उसके बाद भी उसे अपना राशन कार्ड तैयार नहीं और बहस का एक मुद्दा बन गया जब इसकी शिकायत श्रीमन कलेक्टर की गई तो उस सज्जन की वहां भी नहीं सुनी गई और बैरंग लौट आया। ऐसा ही एक मामला जमीन के खसरे का है जिस पर उस व्यक्ति ने तारीख के समय लेना पहूंचे उन्हें कई प्रकार के बहाने बना कर भेजा दिया गया दूसरे दिन भी जब खसरा नहीं मिला तो फि र शिकायत कि गई किन्तु कोई फ र्क नहीं पड़ा। उसी काम को एक दलाल ने 200 रू. लेकर 1 घंटे में लाकर दिया।
जब इस विषय की जानकारी लोक सेवा केन्द्र के प्रबंधक विश्वकर्मा जी पूछा गया अटपटा सा जवाब देकर अपना पल्लू झाड़ लिया। इससे साफ जाहिर होता है कि लोक सेवा केन्द्र में किस कदर दलाली हावी है। लोग तो कहते हैं कि किसी भी विभाग में बिना दलाल के काम ही नहीं होते। काम होते भी हैं तो उनके जिनसे आवेदन शुल्क से अधिक रकम मिलती हो। चाहे वो तहसील की लोक सेवा केन्द्र हो या फिर कलेक्ट्रेट की हर जगह दलाली देनी पड़ेगी तब आपका काम हो पाना सम्भव होगा।
Posted by 02.43
, Published at
Tidak ada komentar:
Posting Komentar