राज कमल
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के अपने कुछ ख़ास मित्रों से जब इंडस्ट्री की बातचीत चलती है तो भोजीवुड का एक घिनौना परन्तु सत्य चेहरा सामने नंग-धडंग सा खड़ा हो जाता है. मन विचलित होता है लेकिन इसका कोई समाधान नहीं दिखाई देता. दे भी कैसे ? जब कोई अभिनेत्री दाम और नाम कमाने के चक्कर में अपनी इच्छा और उमंग के साथ जब निर्माता/निर्देशक/फाईनेंसर के साथ हमबिस्तर होकर अपनी आजीविका और कैरियर तलाशे तो इसमें हम और आप कर ही क्या सकते हैं.
अभी हाल ही में, भोजीवुड के कुछ नामचीन निर्माता/निर्देशक मित्रों से बातचीत चल रही थी. तरह-तरह की अभिनेत्री और सह-अभिनेत्रियाँ और उनके गजब-गजब के घिनौने किस्से. कुछ नाम ऐसे भी सुनने को मिले जो फिल्म इंडस्ट्री के नामचीन पुराने नाम हैं, जिन्हें मैं अपने अच्छे मित्रों में मानता था. लेकिन जब किस्से सामने आये तो नफरत के सिवा कुछ भी नहीं बचा.
भोजीवुड में नाम और दाम कमाने वाली ये अभिनेत्रियाँ कमसिन बालाएं हों ऐसा भी नहीं है, इस होड़ में वो भी हैं जो आज दो बच्चों की माँ हैं और इंडस्ट्री में सह-अभिनेत्री की भूमिका अदा करती हैं. रुपहले परदे पर आने की बैचनी को शांत करने के लिए और नाम-दाम के चक्कर में भोजीवुड के घिनौने सच की ये अधेड़ सह-अभिनेत्रियाँ एक मजबूत कड़ी हैं. इनका काम है निर्माता-निर्देशक को कमसिन बालाओं को मुहैया कराना और समय-समय पर उनका “टेस्ट” चेंज कराना. ये अधेड़ सह-अभिनेत्रियाँ, इंडस्ट्री में काम दिलाने और नाम चमकाने का प्रलोभन देकर उन नयी लड़कियों को इंडस्ट्री से जोडती हैं, जो फिल्म में काम करना चाहती हैं और रुपहले परदे पर छा जाने को आतुर हैं. नतीजा अंततः वही होता है जो सब जानते हैं. ये मुंबई में ज़िन्दगी बसर करने के लिए वेश्यावृति करना शुरू करती हैं, फिर वो चेहरा जो रुपहले परदे पर चमकने का ख्वाब लेकर भोजीवुड में आया था, पुलिस छापे में गिरफ्तार होकर दुपट्टे से मूंह छुपाता हुआ नजर आने लगता है.
मैंने पहले भी फेसबुक पर विभिन्न स्टेटस के माध्यम से चेताया है और आज फिर चेता रहा हूँ की रुपहला पर्दा भले ही चाहे जितना आकर्षक हो, इसके पीछे की सच्चाई बहुत ही घिनौनी है.
Posted by 06.14
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