बी एम ओ और सी एच एम ओ के पास उनका प्रति माह का हिस्सा भिजवा दिया जाता है
हरदा से जितेन्द्र अग्रवाल की रिपोर्ट...
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(टाइम्स ऑफ क्राइम)

इसी तरह ग्रामीण क्षेत्रो में मौसमी बीमारियों के पैर पसारते ही बंगाली डॉक्टरों की चांदी हो जाती है सिराली, मगरधा, चारवा, रहटगांव, मसनगॉव, मांदला इस प्रकार के कई ऐसे छोटे छोटे गॉवों में ऐसे ही फर्जी डॉक्टरों के यहां मरीजों का मेला लगा हुआ देखा जा सकता है। कई आदिवासी अज्ञानतावश इनके पास गंभीर बीमारियों का इलाज करवाने पहुंच जाते हैं और वे विशेषज्ञ की तरह इलाज करते हैं आधिकतर डॉक्टर किसी भी बीमारी मे सीधे बॉटल लगाते है जिससे सीधे डेढ सौ से दो सौ रूपये तक मरीज से ले लेते है और गरीबों की गाढ़ी कमाई डकार जाते हैं।
वही शासन के निर्देश है कि फर्जी बंगाली डॉक्टरों पर कार्यवाही करे इसके बावजूद प्रशासन इन पर कार्यवाही करने में क्यों हिचकता है? यह प्रश्न समझ से परे है। बताते है स्वास्थ्य विभाग ने पूरे जिले में कार्यरत चिकित्सकों के लिए पंजीयन कराना अनिवार्य किया था। बीना पंजीयन के इलाज करना अवैध बताया गया था। सूत्र बताते है बावजूद इसके न तो डॉक्टर ने पंजीयन कराया और न ही व्यवसाय बंद किया।
अखिरकार इन पर कौन सा नियम लागू होता हैै। विगत पंद्रह वर्षो से बेरोकटोक डॉक्टर बनकर लूटने वाले इन फर्जी डॉक्टर के खिलाफ शासकीय अमले द्वारा किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की जाती है अगर कार्यवाही की जाती तो वे कागजो पर। इससे इनके हौसले इतने बुलंद हैं कि ये एमबीबीएस डॉक्टर की तरह इलाज करते हैं।
कुछ डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम बी एम ओ और सी एच एम ओ के पास उनका प्रति माह का हिस्सा भिजवा दिया जाता है इसलिये बे रोक-टोक के प्रेक्टिस करते है कुछ डॉक्टरों ने अपने क्लिीनिक को मेडिकल की दुकान की तरह भी सजा रखा है जिससे मरीज को दवाई भी वहीं उपलब्ध आसानी से हो जाती है च
Posted by 03.34
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