पवित्र नर्मदा में डुबकी इंसान ने लगाई और निकले देवता

पवित्र नर्मदा में डुबकी इंसान ने लगाई और निकले देवता

पित्रमोक्ष अमावस्या के दिन घाटों पर दिखे 

अनोखे नजारे, लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा


हरदा से जितेन्द्र अग्रवाल की रिपोर्ट..
(टाइम्स ऑफ क्राइम) 
रिपोर्टर से संम्पर्क.. 80851 99183

toc news internet channel 

हरदा। प्रसिद्ध ज्योतिर्र्लिंग ओंकारेश्वर में नर्मदा किनारे पित्रमोक्ष अमावस पर अनोखी घटनाएं हुईं। देवी देवता जिनके शरीर में आते हैं। वे अपने अस्त्रों, रस्सियों और पिटारे लेकर पवित्र नर्मदा में डुबकी लगाते दिखे। इन्होंने अजीब लीलाएं भी की। एक के ने तो काली का अवतार बताकर जीभ तलवार से काट ली। खून भी बहने लगा। वहींमहिलाओं ने भी देवी स्वरूप को अपने अंदर प्रवेश कर लेने का दावा किया। उन्होंने समस्याएं व बीमारियों से लोगों को निजात भी दिलाई। 

कईयों के भूत तो इन देवों के सामने आते ही काफूर हो गए। मोरटक्का में भी भारी भीड़ दिखी। यहाँ गुरूवार रात 12 बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया। इनमें अपने औजार व पिटारों समेत लोग पहुंच रहे थे। रात 3 बजे तक पूजा के अनोखे थाल व हथियारों के साथ घाटों के किनारे पूजा की सामग्री सजा ली गई। यह बात गौर करने लायक थी कि ओंकारेश्वर के घाटों पर भी किसी ने बलि नहीं दी। कई तांत्रिक देश व अपने भक्तों की खुशहाली के लिये तांत्रिक क्रियाएं करते भी नजर आए। ओंकारेश्वर के सभी घाटों पर भी अजीब नजारा था। 

यहाँ व मोरटक्का में करीब एक लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र नर्मदा में डुबकी लगाई। 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं ने भगवान ओंकारजी के दर्शन किये। अमावस्या पर यूं तो हर बार मेले जैसा माहौल घाटों पर रहता है, लेकिन यह बड़ी अमावस या कहें पित्रमोक्ष अमावस होने के कारण भारी भीड़ देखी गई। किसी के शरीर में देवी या देवता आते हैं तो उन्हें पित्रमोक्ष अमावस को शुद्ध करना अनिवार्य माना जाता है। इसीलिये लगभग इस तरह के सभी श्रद्धालु यहाँ अपने पिटारे, रस्सियाँ व सांकल तथा औजार जिनमें नींबू लगे थे, लेकर पहुंचे। माँ नर्मदा को नारियल व नींबू ही चढ़ाए जाते हैं। बलि प्रथा घाटों पर प्रतिबंधित भी है। न ही श्रद्धालु इस तरह के यहाँ प्रयास करते हैं। जिले में नर्मदा के अनेक घाटों पर मेले का नजारा भी देखने को मिला। 

इंदिरा सागर ने हालांकि नर्मदा का मानचित्र बदल दिया है। अधिकांश गांवों तक नर्मदा खुद पहुंच चुकी है। लेकिन इसके बावजूद नर्मदा के वास्तविक किनारों पर अब भी परंपरागत माहौल है। धाराजी, बड़केश्वर, धायड़ी घाट, बलड़ी, पामाखेड़ी, सिंगाजी क्षेत्र आदि डूब में आ चुके हैं। लेकिन नर्मदानगर, धाराजी के पास, ओंकारेश्वर में मेले जैसा माहौल था। नर्मदानगर में तो दुकानें भी सजीं और श्रद्धालुओं ने पुण्य भी लूटा। हालांकि किसी तरह की अप्रिय घटनाक्रम का समाचार नहीं है। पुलिस व प्रशासन ने बड़े पैमाने पर प्रबंध किये थे। नाविकों व सैनिकों की ड्यूटी लगाई गई थी। कई रास्तों को रोककर ट्रेफिक में बदलाव किया गया था। ओंकारेश्वर में मजिस्ट्रेट तक नियुक्त किये गए थे। 
Posted by Unknown, Published at 06.35

Tidak ada komentar:

Posting Komentar

Copyright © THE TIMES OF CRIME >