सेवा में,
सचिव, गृह मंत्रालय,
भारत सरकार,
नई दिल्ली – ११०००१
विषय : राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के नाम 'बापू' को अपमानित करने के सन्दर्भ में,
महाशय, ('मुझे अच्छा नहीं लगता कोई हम नाम तेरा, कोई तुझ सा हो तो नाम भी तुझ सा रखे" --- 'फ़राज़') आसाराम कौन है? क्या है? मुझे इस से कोई सरोकार नहीं। आसाराम के नाम के साथ आदर सूचक शब्द लगे या ना लगे, बुद्धिजीवियों और मीडिया से जुड़े लोगों में इस बात को लेकर काफी उठा पटक भी चल रही है। अंग्रेज़ी अख़बारों ने तो आदर सूचक शब्द लिखना लगभग बंद कर दिया है, पर हिंदी अख़बार अभी तक 'बापू' शब्द का मोह आसाराम के लिए नहीं छोड़ पाए हैं और लगातार लिख रहे हैं जिस पर मुझे घोर आपत्ति है।
इस देश में 'बापू' का दर्जा सिर्फ राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को हासिल है और भारत ही नहीं दुसरे मुल्कों में भी गाँधी जी को आदर स्वरुप 'बापू' कहा जाता है। ऐसे में किसी दुसरे व्यक्ति को अपने नाम के साथ 'बापू' शब्द लगाना राष्ट्रपिता के अपमान के समान है। आसाराम के नाम के साथ 'बापू' शब्द को तत्काल प्रभाव से बिना किसी धर्म को आड़े लाये नाकारा जाये क्यूंकि उसने कर्म कोई ऐसा नहीं किया के उसे 'बापू' कहा जाये।
जघन्य अपराध के आरोपी को 'बापू' कहना और लिखना मेरी नज़र में देशद्रोह के समान है। इस सम्बन्ध में मैं 'बापू' के नाम को बदनाम करने वाले के लिए कड़ी सज़ा की मांग करता हूँ। अगर इस सन्दर्भ में कोई कड़ा क़दम नहीं उठाया गया तो आने वाले कल को कोई और भी 'बापू' नाम को कलंकित कर सकता है। इस दिशा में मैं आपकी तरफ से ऐसे लोगों के लिए कठोर नियम और दिशा निर्देश की अपेक्षा करता हूँ।
सादर
आपका
नैय्यर इमाम
शोध छात्र
व्यावहारिक भू-विज्ञानं विभाग
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान – रायपुर- ४९२०१०, छ. ग., भारत
Posted by 21.44
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