नरसिंहपुर से सलामत खान की रिपोर्ट.......
(टाइम्स ऑफ क्राइम)
नरसिंहपुर. सेलफौन टॉवर से मानव शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव को लेकर नगरीय क्षेत्रों में सेल फोन टॉवर स्थापित करने के लिये म. प्र. मानव अधिकार आयोग ने कम से कम ऐसे भूखंडों का चयन करने को प्राथमिकता देने की अनुशंसा की है जिनका आकार ढाई सौ फूट हो। इन भूखंडों पर सेल फोन टॉवर के लिये स्थापित की जाने वाली मशीनों और जनरेटर से 100 फूट की त्रिज्या में कोई भी रिहायशी आवास न हो, टॉवर स्थापित करने के लिए जनरेटर की चिमनी की ऊंचाई न्यूनतम 30 फूट अथवा पास की ऊंचे आवासीय कावन से 20 फूट अधिक होना चाहिए।
आयोग ने सिफारिश की है कि ढाई हजार वर्ग फूट तक के आवासीय भूखंडों पर स्थपित टॉवर तत्काल हटाये जाने चाहिये। रिहायशी कॉलोनियों में मकानों की छत पर स्थापित टॉवरों से लोगों की जान और माल की क्षति का खतरा बना रहता है, इसलिए टॉवरों की ऊंचाई इतनी हो कि उनके गिरने के कोई जनहानि न हो। टॉवर स्थापित किये जाने वाले स्थान को वायर फैसिंग और चार दीवारी बनाकर सुरक्षित रखा जाना चाहिये तथा विद्युत या डीजल जनरेटर से संचालित होने वाले टॉवरों में ध्वनि प्रदूषण न हो इसका विशेष ध्याान रखा जाना चाहिये।
आयोग की पहल पर शासन ने सेल फोन टॉवर से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय विकिरणों के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिये सात सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति कि रिर्पोट में स्पष्ट किया गया है कि ये विद्युत चुम्बकीय विकिरणें माताओ, गर्भस्थ शिशुओं ओर बालकों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है। शोध में पाया गया कि सेल फोन टावर के पास रहने वाले लोगों को खून की कमी, दृष्टिदोष, सिददर्द तथा अनिद्रा जैसे संत्रास हो सकतें है। एक अध्यन में भी बताया गया है कि सेल फोन टांवर और सेल फोन दोनो को एक सुरक्षित दूरी पर रखना आवश्यक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सेल फोन टावर स्थापित करने के संबंध में पूर्ण सावधनी और सतर्कता के सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी है। मगर नगर में देखा जा रहा है कि निजी कंपनियों द्वारा कही भी टाबर खड़े कर दिये गये है। यहां तक जहां टाबर लगे है उन्ही भवनों में स्कूल संचालित हो रहे है। साथ ही साथ नगर में अनेक रहवासी इलाकों में टाबर खडेÞ करने से आमजनों के लिए परेशानी का कारण साबित हो रहे है।
(टाइम्स ऑफ क्राइम)
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आयोग ने सिफारिश की है कि ढाई हजार वर्ग फूट तक के आवासीय भूखंडों पर स्थपित टॉवर तत्काल हटाये जाने चाहिये। रिहायशी कॉलोनियों में मकानों की छत पर स्थापित टॉवरों से लोगों की जान और माल की क्षति का खतरा बना रहता है, इसलिए टॉवरों की ऊंचाई इतनी हो कि उनके गिरने के कोई जनहानि न हो। टॉवर स्थापित किये जाने वाले स्थान को वायर फैसिंग और चार दीवारी बनाकर सुरक्षित रखा जाना चाहिये तथा विद्युत या डीजल जनरेटर से संचालित होने वाले टॉवरों में ध्वनि प्रदूषण न हो इसका विशेष ध्याान रखा जाना चाहिये।
आयोग की पहल पर शासन ने सेल फोन टॉवर से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय विकिरणों के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिये सात सदस्यीय एक विशेषज्ञ समिति कि रिर्पोट में स्पष्ट किया गया है कि ये विद्युत चुम्बकीय विकिरणें माताओ, गर्भस्थ शिशुओं ओर बालकों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है। शोध में पाया गया कि सेल फोन टावर के पास रहने वाले लोगों को खून की कमी, दृष्टिदोष, सिददर्द तथा अनिद्रा जैसे संत्रास हो सकतें है। एक अध्यन में भी बताया गया है कि सेल फोन टांवर और सेल फोन दोनो को एक सुरक्षित दूरी पर रखना आवश्यक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सेल फोन टावर स्थापित करने के संबंध में पूर्ण सावधनी और सतर्कता के सिद्धांतों का पालन करने की सलाह दी है। मगर नगर में देखा जा रहा है कि निजी कंपनियों द्वारा कही भी टाबर खड़े कर दिये गये है। यहां तक जहां टाबर लगे है उन्ही भवनों में स्कूल संचालित हो रहे है। साथ ही साथ नगर में अनेक रहवासी इलाकों में टाबर खडेÞ करने से आमजनों के लिए परेशानी का कारण साबित हो रहे है।
Posted by 05.21
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