क्या पत्रकार नहीं ब्लैकमेलर था राजेन्द्र राजपूत

क्या पत्रकार नहीं ब्लैकमेलर था राजेन्द्र राजपूत

toc news internet channel 

भोपाल के 8 एवं हरियाणा के एक थानें में फरार घोषित
भोपाल में राजेंद्र कुमार, अस्थियां लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निवास पहुंचे 
पीएमटी घोटालें में भी लिप्त था, अपनी ही जाति के लोगों से करता था वसूली

भोपाल । पिछले दिनों भोपाल में मंत्रालय की चौथी मंजिल पर मुख्य सचिव कार्यालय के समक्ष नाटकीय ढंग से आत्महत्या करने वाला राजेन्द्र राजपूत खुद को पत्रकार बताता था, किन्तु वह निकला ब्लैकमेलर और थानों का फरार मुलजिम। यही नहीं लोगों को डॉक्टर बनानें के नाम पर राजपूत ने लाखों रू. उदरस्थ किये जिसकी एफआईआर आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों में दर्ज है साथ ही हरियाणा के सोनीपत में भी 6 सितंबर 2010 से यह फरार घोषित है। सनसनीखेज जानकारी मिली है कि तकरीबन आधा दर्जन भोपाल के थानों में राजपूत के खिलाफ 420, 294, 506, 409 जैसे अपराध पंजीबद्ध है। जिनमें वह फरार दर्शाया गया है। सूत्र बताते है कि राजपूत खुद बेलदार जाति का होकर अपनी ही जाति के खामरा, ओढ़, ओधा, मजोका लोगों से अवैध वसूली किया करता था।

उल्लेखनीय है कि 15 अक्टूबर को मंत्रालय में आत्महत्या करने वाले राजेन्द्र राजपूत को समूचे मीडिया जगत में पत्रकार बताया गया तथा उनके परिजनों ने तैंतीस लोगों पर आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का एक मामला हबीबगंज थानें में दर्ज करवाया और मुख्यमंत्री से अपने परिवार के लिए नौकरी और आर्थिक सहायता का अष्वासन भी ले लिया। जबकि हकीकत यह है कि राजेन्द्र कुमार पिछले 7-8 वर्षों से अपनी ही जाति (बेलदार समाज जो मध्यप्रदेश शासन की अनुसूचित जाति क्रमांक 10 पर अंकित है) के लोगों से वेजा वसूली करते रहे और बात जब बिगड़ी तो आत्महत्या की धमकी देकर नाटकीय ढंग से खुद की जीवनलीला समाप्त कर ली।

राजेन्द्र कुमार राजपूत पिता लालचंद राजपूत उम्र 48 वर्ष निवासी सिद्धीदात्री मंदिर समन्वय नगर, अवधपुरी पर गोविन्दपुरा थाने में अपराध क्रमांक 574/09 धारा 420, 188, बिलखिरिया थाना प्रकरण क्रमांक 135/03 धारा 406, ईओडब्ल्यू भोपाल धारा 120 बी, 420, 406, 409, गलोठ जिला सोनीपत (हरियाणा) क्रमांक 1961/2005, मृतक राजेन्द्र कुमार ने अपने सुसाइड नोट में इसे हत्या मानकर तैंतीस लोगों पर प्रकरण दर्ज करने का क्यों लिखा यह समझ से परे है, आत्महत्या वाले पत्र उसने लिखा कि वे दो तरह के हस्ताक्षर करता है। साथ ही मृतक राजेन्द्र कुमार के मामलें में जिस जहांगीराबाद थानें में 17.10.2013 को 33 लोगों के खिलाफ धारा 306/34 आईपीसी के तहत प्रकरण दर्ज करवाया उसमें मृतक राजेन्द्र कुमार पर आत्महत्या करने का धारा 309 का मामला क्यों नहीं दर्ज किया गया ? यहीं नहीं सुसाइड नोट भी एक अन्य स्थान (स्टार न्यूज टीवी चैनल के कार्यालय) से बरामद होता है जो संदेह को जन्म देता है।

पुलिस महानिदेषक की सुनवाई में प्रकरण 11 अक्टूबर 2010, 4 जनवरी 2011, 15 नवंबर 2011 को राजेन्द्र राजपूत के खिलाफ 33 लोगों ने ब्लैकमेल करने और अवैध वसूली करने की शिकायतें दी थी। यहीं नहीं मुख्यमंत्री को भी अक्टूबर 2010 में सप्रमाण सूचना के अधिकार की आड़ में ब्लैकमेल करने का दस्तावेजी
प्रमाण राजेन्द्र राजपूत के विरूद्ध प्रस्तुत किया था।

Posted by Unknown, Published at 04.57

Tidak ada komentar:

Posting Komentar

Copyright © THE TIMES OF CRIME >