बेरोजगारी का नासूर फैलता जायेगा मध्‍यप्रदेश में

बेरोजगारी का नासूर फैलता जायेगा मध्‍यप्रदेश में

toc news internet channel 

अगर प्रदेश की भाजपा सरकार ने  सरकारी कर्मचारियों की आयु सीमा 60 से 65 वर्ष करने का निर्णय ले लिया, तो फिर समझ लीजिए मप्र में बेरोजगारी का नासूर फैलता ही जायेगा, इसे रोकने के लिए फिर कोई हथियार काम नहीं आयेगा। वर्तमान में भी हजारों बेरोजगार रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। यूं भी प्रदेश में रोजगार की संभावनाएं नगण्‍य हैं। न तो सरकार रोजगार के क्षेत्र में कोई कारगर उपाय कर रही है और न ही उस तेजी से प्रदेश में प्राइवेट कंपनियां आ रही हैं ताकि राज्‍य में रोजगार का विस्‍तार हो सके। यही वजह है कि प्रदेश का पढ़ा लिखा नौजवान पलायन करने को विवश है। आज अधिकतर इंजीनियर प्रदेश में डिग्री तो लेता है, लेकिन नौकरी करने के लिए उसे कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, महाराष्‍ट्र की शरण लेनी पड़ रही है। इन राज्‍यों में बैंगलोर, हैदराबाद और पुणे में आईटी कंपनियां काफी तादाद में हैं। ऐसी स्थिति में बेरोजगार नौजवान को मजबूरी में प्रदेश से पलायन कर दूसरे राज्‍य में सेवा देनी पड़ रही है।

इस दिशा में न तो राजनीतिक दल विचार करने को तैयार हैं और न ही वर्तमान सरकार विचार कर रही है। दुखद पहलू यह है कि इंजीनियर के साथ-साथ डॉक्‍टरी पेशे के नौजवान भी पलायन कर रहे हैं। इसके साथ ही उन बेरोजगारों पर तो कोई विचार ही नहीं कर रहा है, जो कि आर्टस से बीए, एमए या, कॉमर्स से बीकॉम, एमकॉम की डिग्रियां लेकर रोजगार के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इन्‍हें छोटी-छोटी कं‍पनियों में नौकरियां करने के लिए विवश होना पड़ रहा है और जो इससे भी कम पढ़े लिखे हैं उन्‍हें तो और भी जटिल राहों पर चलना पड़ रहा है, न तो उनके सामने भविष्‍य सुरक्षित है और न ही वर्तमान सुखद है। अब मप्र की भाजपा सरकार चुनावी मौसम में सरकारी कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति आयु 60 से 62 वर्ष करने पर विचार कर ही है।

मप्र के छोटे भाई छत्‍तीसगढ़ में तो तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 हो चुकी है। वही मप्र में भी वर्तमान में कर्मचारियों की सेवा निवृत्ति आयु 60 वर्ष है, जबकि डॉक्‍टरों की सेवा निवृत्ति आयु 65 एवं शिक्षकों की आयु 62 वर्ष तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 62 वर्ष है। अब लिपिक वर्गीय कर्मियों की सेवा आयु बढ़ाने के लिए सरकार व्‍यापक स्‍तर पर विचार कर रही है। इस निर्णय का सबसे बुरा असर बेरोजगारों के जीवन पर पड़ना है। हर साल और लोग बेरोजगार होंगे। उन्‍हें रोजगार के कोई साधन नहीं मिलेंगे, आखिर सरकार चुनावी वर्ष में कर्मचारियों को लुभाने के लिए एक ऐसा निर्णय क्‍यों ले रही है, जिससे बेरोजगारों के भविष्‍य से खिलवाड़ हो, इस पर कई स्‍तरों पर विरोध हुआ है अब सरकार इस विरोध को समझ ले, तब तो बेरोजगारों के हित में होगा, अन्‍यथा फिर बेरोजगारों को अपना जीवन और संघर्षमय बनाने के लिए तैयार रहना चाहिए।

ये आयेगी चुनौतियां : 
युवाओं से रोजगार छीनने की तैयारी चल रही है प्रदेश में
उम्र बढ़ाने के साथ ही प्रदेश में 30 हजार बेरोजगारों को रोजगार से व‍ंचित होना पड़ेगा।
रोजगार की संभावनाएं, प्रयास, प्रदेश में चल रहे हैं नगण्‍य।
बेरोजगारों के साथ एक बार फिर धोखा कर रही है सरकार।
 हर साल 30 हजार कर्मचारी रिटायर्ड होते हैं, जबकि भर्ती की प्रक्रिया बंद सी है।
25 सालों में सीधी भर्ती के पद भरे नहीं गए।
तोहफा देने से पदोन्‍नति और भर्ती दो साल के लिए रूक जाती है।
सरकारी नौकरियों में युवाओं के अवसर सीमित हैं। रोजगार के अवसर कम होंगे। 
Posted by Unknown, Published at 08.24

Tidak ada komentar:

Posting Komentar

Copyright © THE TIMES OF CRIME >