भारतीय संस्कृति और रक्षाबंधन

भारतीय संस्कृति और रक्षाबंधन

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राजकिशोर मिश्रा 

रक्षाबंधन का पावन पर्व आप सब सभी ब्लागर बंधु , कामेन्ट करने वाले और सभी पाठक बंधुओं के जीवन को नयी दिशा प्रदान करते हुए सद्मार्ग, उन्नति आरोग्यता और विजयश्री प्रदान करें।

रक्षाबन्धन भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व है , यह पर्व भाईचारा , विश्वबंधुत्व का संदेश देते हुये आत्मविश्वास ,और बहन की रक्षा का दृढ संकल्प का परिचायक है ,,, आज वक्त के साथ हर धर्म के लोग यदाकदा बहन - भाई के दृढ प्रेम की मिसाल के रूप मे मनाते हैं ,, पर्व सद्भाव की मिसाल होती है।

रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है ,,,, हिन्दू धर्मशास्त्र मनुस्मृति के अनुसार इसे चार वर्णों में विभाजित किया गया है ,,,,,
ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , और शुद्र ,,,,, ठीक उसी प्रकार हिन्दुओं के चार प्रमुख त्यौहार हैं ,,,, क्रमश ; श्रावणी [ रक्षाबंधन ] दशहरा , दीपावली और होली ======

रक्षाबंधन कब से मनाया जा रहा इस परम्परा की शुरुवात कब हुई ,,, प्रश्न का प्रश्न बना हुआ है,,, हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार[ भविष्य पुराण ] देवासुर संग्राम में देवताओं की विजय के लिए इन्द्रनी [ इन्द्र की पत्नी ने ] देव गुरु वृहस्पति द्वारा अभिमंत्रित कच्चे सूते [राखी] को बंधा ,,, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी ,,, तद्पश्चात देवासुर संग्राम में देवराज इंद्र की विजय हुई ,,,,, श्रीमद देवीभागवत के अनुसार भगवान् विष्णु ने हयग्रीव का जन्म
लेकर वेदों की रक्षा की ,,,, वामन अवतार में राजा बलि की परीक्षा फासं में फसे भगवान नारायण की मुक्त कराने के लिए माँ लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर अपने पति भगवान् नारायण [विष्णु ] छुडाया ,,,,
भगवान् सदैव अपने भक्त के आधीन होते हैं।
उस दिन भी श्रावण मॉस की पूर्णिमा थी ,,,,,
येनबध्दो बलि ; राजा दानवेन्द्रो महाबल.;
तेन त्वामभि बध्नामि रक्षे माचल मा चल;

द्वापर में युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में कृष्ण द्वरा चेदिराज शिशुपाल का वध करते समय अंगुली कट जाने से द्रोपदी
द्वारा अपने साड़ी का आँचल फाड़कर कृष्ण की उंगली में बंधा उस दिन भी श्रावण मॉस की पूर्णिमा थी ,,,
उनकी रक्षा स्वरुप दुशासन द्वारा चीर हरण करने पर भक्त वात्सल्य भगवान् कृष्ण नंगे पाँव आकर
अपनी बहन की रक्षा किये , दस हजार हाथियों के बल से युक्त दुशासन विषमय में किंकर्तव्य विमूढ़ होकर
सोचने पर विवस हो जाता है ,,,,

साड़ी बीच नारी है कि नारी बीच साड़ी है ,,,,,[भ्रमक अलंकार ] का भ्रम उत्पन्न होजाता है ,,,,

राजपूत महारानी कर्मवती ने मुग़ल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर अपने देश रक्षा की मांग की थी , और हुमायूँ ने गुजरात के शासक बहादुर शाह से उनके देश की रक्षा की थी ,,,,
सुभद्रा कुमारी चौहान ने बड़े मार्मिक शब्दों में काव्यमय अंदाज में === लिखा है ,,,
वीर हुमायूं बन्धु बना था ,,,,
विश्व आज भी साक्षी है ,,,
प्राणों की बजी रख जिसने ,,
राखी का पत राखी है ,,,,
यही चाहती बहन तुम्हारी ,
देश भूमि को मत बिसराना ,,
स्वतंत्रता के लिए बंधू ,
हँसते -हंसते मर जाना ,,,,,,,

सिकंदर महान की पत्नी द्वारा राजा पुरु को राखी भेजकर सिकंदर के प्राणों की रक्षा की मांग की थी ,,,
राष्टीय स्वयं सेवक संघ पुरुष सदस्य परस्पर भगवा कच्चा धागा [राखी ] बांधकर परस्पर प्रेम का इजहार
करते हैं ,,,, भारत के राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री के आवास बच्चों द्वारा राखी बंधा जाता है ,,,
कालांतर में यह पर्व भाई -बहन के मधुर संबंधो डोर बन गयी ,,,,, श्रावण मास की पूर्णिमा को सुबह स्नान के उपरान्त बहन द्वरा भाई के दाहिने हाथ रोली अक्षत कुमकुम के साथ राखी बांधकर भाई के लम्बे उम्र उन्नति
शुभाशीष प्रदान करती हैं ,, और भाई अपनी बहन यथाशक्ति द्रव्य के साथ बहन की रक्षा का वचन देता है ,,,,,
महाराष्ट्र में समुद्र वरुण देव को नारियल अर्पण करना , भारत के बिभिन्न राज्यों में नाना प्रकार की
परम्परायें है ,, ब्राह्मणों द्वारा यजमानों को रक्षा सूत्र बांधना ,,,,नाना प्रकार के पकवान अपनी परंपरा के अनुसार बनाते हैं ,,,,,
आज वक्त के साथ-साथ धीरे धीरे सभी परम्पराएँ कलुषित होती जा रही हैं ,,, आधुनिकीकरण , समय का आभाव , रिश्ते के बदलते रंग प्रयोजन वाद का उदय ,, आदर्शवादी ,प्रकृति वादी परम्पराओं का ह्रास हमारे अभिसमयों [परम्परा ]
का अस्तित्व बिखरता जा रहा है ,,,,,,
राखी तेरा कोई मोल नहीं है,,,
बहना तेरे प्यार का तोल नहीं है ,,,
तेरे आशीष का कोई जोड़ नहीं है ,,
उसके आगे नतमस्तक दुनिया के दस्तूर सभी हैं
अतुलनीय नेह है भाई -बहन के प्यार का ,,
भावनाएं भी होती कायल ,, इस पर्व का।
इस पोस्ट में व्यक्त विचार ब्लॉगर के अपने विचार है।
Posted by Unknown, Published at 08.55

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