कलियुगी नेता

झूठा,स्वार्थी,लोभी होता,
धूर्त,निक्कमा,पापी होता,
श्वेत वस्त्र मे लिपटा नाग होता,
इसका डसा भटकता रहता,
जो चाहता वो खेल होता ,
मोटर,गाड़ी,बंगला होता,
हर घोटाले में नाम होता,
कहीं जेल तो कहीं बेल होता,
विदेषी बैंक में एकाउंट होता,
स्विष बैंक में बैलेंस होता,
मदिरा,डीजल,खून पीता,
मांस,चारा,कोयला,खाता,
भ्रष्टाचार,षोषण,साधन होता,
गंुडा,मवाली का डान होता,
भाई,भतीजे का विकास होता,
आम जनता का विनाष होता,
देष में मंहगाई,भुखमरी बढ़ाता,
संसद में षाही खाना खाता,
नारी को षक्ति मां बतलाता,
सड़को पर इज्जत लुटवाता,
फार्म हाउस पर नाचा करवाता,
जनता के बिल पर बहस करता,
खुद की तनख्वाह हर साल बढ़ाता,
हिंदु,मुस्लिम को लड़वाता,
सेकुलर का नारा लगवाता,
सच की जो आवाज लगाता,
तुरंत जेल में डाला जाता,
कलियुगी नेता येसा होता,
जो चाहता वो खेल होता ।
सतीष लमानिया गाडरवारा
स्वतंत्र समय संवाददाता
तहसील उपाध्यक्ष आईसना संगठन
Posted by , Published at 04.46
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